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Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics (आरती कुञ्ज बिहारी की लिरिक्स)

Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics (आरती कुञ्ज बिहारी की लिरिक्स)

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Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics (आरती कुञ्ज बिहारी की लिरिक्स)

श्री कुंज बिहारी भगवान कृष्ण के कई नामों में से एक है, जहां बिहारी शब्द कृष्ण को दर्शाता है और कुंज वृंदावन का प्रतिनिधित्व करता है, जहां श्री कृष्ण बड़े हुए और उन्होंने अपनी पूरी युवावस्था बिताई।

‘कुंज’ पेड़ों से घिरे बगीचे को दर्शाता है और ‘बिहारी’ उस व्यक्ति को दर्शाता है जो ऊर्जा निवेश करने के लिए वहां जाता है। इन पंक्तियों के साथ, ‘कुंज-बिहारी’ भगवान कृष्ण को दर्शाता है, जो विभिन्न पक्षों से अस्पष्ट सुंदर बगीचों में ऊर्जा निवेश करते हैं या पसंद करते हैं।

Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics (आरती कुञ्ज बिहारी की लिरिक्स) निचे इस लेख में दी गयी है। आनंदपूर्वक शांत मन से इनका पाठ करें और इन्हे जानें।

Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics (आरती कुञ्ज बिहारी की लिरिक्स)

[LYRICS] – Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics (आरती कुञ्ज बिहारी की लिरिक्स)

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला ।
गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली…
भ्रमर सी अलक,
कस्तूरी तिलक,
चंद्र सी झलक,

ललित छवि श्यामा प्यारी की,
श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै…
बजे मुरचंग,
मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग,

अतुल रति गोप कुमारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

जहां ते प्रकट भई गंगा, सकल मन हारिणि श्री गंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा…
बसी शिव सीस,
जटा के बीच,
हरै अघ कीच,

चरन छवि श्रीबनवारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू…
हंसत मृदु मंद,
चांदनी चंद,
कटत भव फंद,

टेर सुन दीन दुखारी की,
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥
॥ आरती कुंजबिहारी की…॥

आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की ॥

[VIDEO] – Aarti Kunj Bihari Ki Lyrics (आरती कुञ्ज बिहारी की लिरिक्स)

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