श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर, यागंती (Sri Yaganti Uma Maheswara Temple)


श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर, यागंती (Sri Yaganti Uma Maheswara Temple)

श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर वैष्णव संस्कृति से बना हुआ हिन्दू मंदिर है जो भगवान शिव जी के लिए समर्पित है। ऐसा काफी कम देखने को मिलता है जब भगवान शिव जी के मंदिर का निर्माण वैष्णव परम्पराओं से किया जाता है।

“उमा महेश्वर” शब्द माँ पारवती और भगवान शिव के नामों के जोड़ से बना है। माँ पारवती को “उमा” और भगवान शिव जी को “महेश्वर” कहा जाता है।

मंदिर को लेकर एक कथा प्रचलित है कि इस जगह पर प्राचीन काल में भारतवर्ष के महान ऋषि अगस्त्य भगवान वेंकटेस्वर स्वामी जी का मंदिर बनाना चाहते थे। इसलिए उन्होंने यहाँ भगवान वेंकटेस्वर की मूर्ती की स्थापना करनी चाही।

परन्तु जिस मूर्ति का निर्माण किया गया वह स्थापित नहीं की जा सकी। उसका कारण यह था कि जो मूर्ती बनाई गयी थी वह खंडित हो चुकी थी। इसका मतलब यह कि मूर्ती के एक पाँव का अंगूठा टूट गया था।

इस बात से ऋषि अगस्त्य बहुत निराश हुए और उन्होंने भगवान शिव की तपस्या की। ऋषि अगस्त्य द्वारा भगवान शिव की घोर तपस्या करने पर भगवान शिव प्रसन्न हुए और ऋषि अगस्त्य को दर्शन दिए।

क्यूंकि यह जगह कैलाश जैसी दिखती है, भगवान शिव ने ऋषि अगस्त्य को यहाँ पर शिव भगवान की दिव्या ऊर्जा के लिए शिव मंदिर स्थापित करने का आदेश दिया।

इस पर ऋषि अगस्त्य ने भगवान शिव से आग्रह किया कि भगवान शिव और माँ पारवती दोनों एक साथ इस जगह पर विराजें। इसलिए भगवान शिव ऋषि अगस्त्य की प्रार्थना मानते हुए यहाँ पर माँ पारवती के साथ “उमा महेश्वर” के रूप में स्थापित हुए।

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तो इस लेख में हम जानेंगे श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर के बारे में और साथ ही जानेंगे इस मंदिर से जुड़े अन्य तथ्यों के बारे में।

श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर भारत के किस राज्य में स्थित है?

श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर दक्षिण भारत के आंध्र प्रदेश राज्य में स्थित है। यह मंदिर कुर्नूल जिले के यागंती में स्थित है। यागंती कुर्नूल से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

बंगनपल्ली से यह स्थान सिर्फ 14 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बेलम गुफाओं से यागंती सिर्फ 45 किलोमीटर की दूरी पर है। पूरे भारतवर्ष से हिन्दू श्रद्धालु भगवान शिव और पारवती माँ के दर्शन के लिए यहाँ आते हैं। यह मंदिर शैव संप्रदाय और शाक्त संप्रदाय के श्रद्धालुओं में काफी प्रसिद्द है।

श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर की वास्तुकला शैली कैसी है?

श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर का निर्माण द्रविड़ वास्तुकला शैली से किया गया है। इस मंदिर का निर्माण पंद्रहवीं शताब्दी में किया गया था। इसका निर्माण संगम राजवंश के राजा हरिहर बुक्का राय द्वारा विजयनगर साम्राज्य के दौरान किया गया था।

मंदिर परिसर में एक छोटा सा तालाब है जिसे पुष्करिणी कहा जाता है। इस पुष्करिणी के एक छोर पर नंदी देव (भगवान शिव के वाहन) की मूर्ती स्थापित है। इस मूर्ति के मुहाने से पानी बहता है।

यह पानी एकदम ताज़ा और मीठा है क्यूंकि यह प्राकृतिक स्त्रोत से निकलता है। प्राकृतिक स्त्रोत का मतलब यह है कि यह पानी मंदिर के पास की पहाड़ियों से आता है।

पुष्करिणी में श्रद्धालु स्नान करते हैं और इसे आध्यात्मिक पहलु से जोड़कर देखा जाता है। ऐसा माना जाता है कि ऋषि अगस्त्य ने पुष्करिणी में स्नान करने के बाद ही भगवान शिव की तपस्या की थी। पुष्करिणी में स्नान करने के बाद ही श्रद्धालु भगवान शिव के दर्शन करते हैं।

मंदिर के समीप एक गुफा है जिसे अगस्त्य गुफा के नाम से जाना जाता है। यह वही गुफा है जहाँ अगस्त्य जी ने भगवान शिव कि तपस्या की थी। गुफा तक पहुंचने के लिए सीढ़ियां हैं और यहाँ श्रद्धालु आसानी से पहुँच सकते हैं।

यहाँ पर दूसरी गुफा भी है जिसे वेंकटेस्वर गुफा कहा जाता है। इस गुफा में भगवान वेंकटेस्वर स्वामी कि क्षतिग्रस्त मूर्ति है। यह वही मूर्ति है जो पाँव से खंडित है और इसी वजह से इस मूर्ती की मंदिर में स्थापना नहीं की जा सकी।

यहाँ पर एक और गुफा है जिसे वीर ब्रह्मम गुफा के नाम से जाना जाता है। संत श्री वीर ब्रह्मेन्द्र स्वामी जी ने “कला ज्ञानम” इसी गुफा में लिखी थी। यह गुफा बाकी गुफाओं से थोड़ी संकरी है।

Sri Yaganti Uma Maheswara Temple श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर, यागंती

श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर का धार्मिक महत्त्व क्या है?

श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर का हिन्दू धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान है। हिन्दू धर्म में प्राचीन काल के ऋषियों में ऋषि अगस्त्य को एक उच्च पद प्राप्त है। उनका नाम भगवान के सर्वश्रेष्ठ भक्तों में आता है।

इस स्थान पर अगस्तय ऋषि का तपस्या करना ही अपने आप में हिन्दू धर्म के श्रद्धालुओं में धार्मिक महत्त्व रखता है। भगवान शिव और माँ पारवती को इस सृष्टि का प्राण और शक्ति माना जाता है। इसलिए भी यह मंदिर हिन्दू श्रद्धालुओं में अत्यंत धार्मिक महत्त्व रखता है।

श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर में दर्शन का समय क्या है?

श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर में भगवान शिव जी और माता पारवती के दर्शन का समय सुबह लगभग 6:00 से शाम लगभग 7:30 तक होता है। इसलिए अपने समयनुसार आप भगवान और देवी माँ के दर्शन करने के लिए जा सकते हैं।

श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर कैसे पहुंचा जा सकता है?

यागंती कुर्नूल जिला मुख्यालय से लगभग 100 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहाँ से आप सड़क मार्ग से यागंती को आसानी से पहुँच सकते हैं।

यागंती के सबसे नज़दीक नंदयाल रेलवे स्टेशन है। आप रेल मार्ग से यहाँ आसानी से पहुँच सकते हैं। नंदयाल रेलवे स्टेशन से यागंती लगभग 48 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। नंदयाल से यागंती को सड़क मार्ग द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है।

हैदराबाद से यागंती लगभग 300 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। अगर आप भारत के किसी अन्य जगह से यहाँ आ रहे हैं तो आप हैदराबाद तक हवाई मार्ग से पहुँच सकते हैं। हैदराबाद से श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर के लिए सड़क मार्ग उपयुक्त रहेगा।

या फिर आप हैदराबाद से नंदयाल तक रेल मार्ग से और नंदयाल से यागंती सड़क मार्ग के द्वारा आसानी से पहुँच सकते हैं।

निष्कर्ष

तो इस लेख में हमने श्री यागंती उमा महेश्वर मंदिर के बारे में जाना और साथ ही मंदिर से जुड़े अन्य तथ्यों के बारे में जानकारी प्राप्त की। आशा करता हूँ आपको यह लेख अच्छा लगा होगा और आपके ज्ञान में इससे वृद्धि हुई होगी। कृपया इस लेख को दूसरों के साथ भी सांझा करें।

खुश रहे, स्वस्थ रह…

जय श्री कृष्ण!

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