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भारतीय संस्कृति और परंपराओं का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं त्योहार और हर महीने आने वाले पूर्णिमा के दिन।
इनमें से एक है “श्रावण पूर्णिमा (Shravan Purnima)” जो अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जुलाई-अगस्त-सितंबर (इनमें से किसी एक) के महीनों में आता है।
यह पूर्णिमा उस समय होती है, जब श्रावण मास की पूर्णिमा की तिथि आती है, और इसे विभिन्न तरीकों से पूरे देश में मनाया जाता है।
इस लेख में, हम श्रावण पूर्णिमा (Shravan Purnima) का महत्व और मान्यताओं के बारे में जानेंगे। और साथ ही यह भी जानेंगे कि इस वर्ष श्रावण पूर्णिमा किस तिथि को आएगी।
श्रावण मास (Shravan Month) और पूर्णिमा
भारतीय कैलेंडर में श्रावण मास को विशेष माना गया है। इस महीने में बरसात की धारा अपने उत्सवी रूप में होती है और प्राकृतिक सौन्दर्य की खोज में लोग निकलते हैं।
हिन्दू धर्म में श्रावण मास के पूर्णिमा को भी खास महत्व दिया गया है।
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श्रावण पूर्णिमा (Shravan Purnima) का महत्व
भारतीय परंपरा में मासिक पूजाओं का विशेष महत्व है, और इन पूजाओं का उद्देश्य आत्मा की पवित्रता और अध्यात्मिकता को बढ़ावा देना है।
श्रावण पूर्णिमा (Shravan Purnima) के दिन की जाने वाली पूजा भी इन्हीं पूजाओं में से एक है जो अपनी विशेषता और महत्वपूर्ण संदेशों के लिए प्रसिद्ध है।
यह पूर्णिमा हिन्दू पंचांग के आधार पर श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि मानी जाती है, जिसे आमतौर पर जुलाई-अगस्त-सितंबर (इनमें से किसी एक) महीने में मनाया जाता है।
श्रावण पूर्णिमा (Shravan Purnima) का महत्व धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यधिक होता है। इस दिन के महत्वपूर्ण उपायों में ब्रह्मचर्य, शुद्धता, और मनःशांति की महत्वपूर्णता को प्रोत्साहित किया जाता है।
यह एक विशेष दिन है जब श्री हरि के गुणों की महिमा का गान किया जाता है और उनके पुजन से आत्मा की उन्नति होती है।
भगवान शिव और पार्वती माँ की पूजा
श्रावण पूर्णिमा (Shravan Purnima) को भगवान शिव माँ पार्वती की पूजा अर्चना होती है और उनके लिए व्रत भी रखा जाता है। इस दिन शिव भक्त अपने ईश्वर की पूजा और आराधना करते हैं।
खासकर इस दिन कांचीपुरम, अमरनाथ, और सोमनाथ जैसे महत्वपूर्ण शिव मंदिरों में भक्तों की भरमार होती है।
कांचीपुरम यात्रा
श्रावण पूर्णिमा (Shravan Purnima) के दिन कांचीपुरम जाने का अवसर मिलता है, जहां इस त्योहार को बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
रक्षा बंधन
श्रावण पूर्णिमा (Shravan Purnima) को भाई-बहन के प्रेम के प्रतिक, रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाता है। बहनें अपने भाइयों के कलाई पर राखी बांधती हैं और उन्हें शुभकामनाएं देती हैं।
भाइयों के द्वारा बहनों को उपहार दिया जाता है। यह पर्व परिवार के बंधन को मजबूती से जोड़ता है।
इस वर्ष श्रावण पूर्णिमा (Shravan Purnima 2023 Date) किस दिन है?
भारतीय पंचांग के अनुसार, श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि श्रावण महीने की महत्वपूर्ण घड़ी होती है।
इस वर्ष, श्रावण पूर्णिमा (Shravan Purnima 2023 Date) का आगमन 30 अगस्त को होगा जब दोपहर 12 बजकर 27 मिनट से यह तिथि प्रारंभ होगी और आगले दिन, 31 अगस्त, सुबह 8 बजकर 35 मिनट तक चलेगी।
पूर्णिमा के दिन शाम की पूजा का विशेष महत्व होता है, इसलिए 30 अगस्त को ही पूर्णिमा तिथि का व्रत आचरण किया जाएगा।
इस विशेष तिथि के महत्व को समझने के लिए हमें इसके पीछे के धार्मिक और पौराणिक महत्व को देखना चाहिए।

श्रावण पूर्णिमा (Shravan Purnima) का उत्सव
श्रावण पूर्णिमा का उत्सव विभिन्न रूपों में पूरे देश में मनाया जाता है। यह उत्सव धार्मिकता, आदर्श, और आनंद का मिश्रण होता है, जिसमें लोग अपने परिवार और दोस्तों के साथ खुशियों का उत्सव मनाते हैं।
इसे विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे कि रक्षा बंधन, श्रावण पूर्णिमा (Shravan Purnima) और राखी पूर्णिमा।
ईश्वर के विभिन्न रूपों में पूजा
श्रावण पूर्णिमा (Shravan Purnima) को भारत के विभिन्न हिस्सों में ईश्वर के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है, लेकिन इसका मूल उद्देश्य हमेशा आत्मा की शुद्धता और भगवान के प्रति अपनी श्रद्धा को मजबूत करना होता है।
- शिव और माँ पार्वती की पूजा: कई स्थानों पर श्रावण पूर्णिमा (Shravan Purnima) को भगवान शिव और माँ पार्वती के प्रति विशेष भक्ति और पूजा का अवसर माना जाता है। लोग शिव मंदिरों में जाकर श्रावणी सोमवार का व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं।
- विष्णु पूजा: कुछ स्थानों में इस दिन भगवान विष्णु जी की पूजा भी की जाती है। श्रीमद् भागवत पठन और भगवद गीता के पाठ का अध्ययन किया जाता है।
- गुरु पूजा: श्रावण पूर्णिमा (Shravan Purnima) के दिन गुरु के प्रति श्रद्धा का विशेष महत्व होता है और इस दिन गुरु पूजा भी की जाती है।
धर्मिक आध्यात्मिकता का पर्व
श्रावण पूर्णिमा (Shravan Purnima) एक धार्मिक और आध्यात्मिकता का पर्व है। इस दिन के उपायों में व्रत, जप, पूजा, और संगत में सत्संग शामिल होते हैं, जो आत्मा की महत्वपूर्ण उन्नति के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इस दिन लोग श्री हरि का गुणगान करते हैं और उनके प्रति अपनी श्रद्धा को मजबूत करते हैं।
यह पूर्णिमा भगवान विष्णु जी की कृपा प्राप्ति के लिए एक खास उपाय मानी जाती है, जिसका नियमित अवलोकन और पालन करने से आत्मा की शुद्धता और मनःशांति प्राप्त होती है।
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निष्कर्ष
श्रावण पूर्णिमा (Shravan Purnima) एक महत्वपूर्ण हिन्दू त्योहार है जो परिवार के बंधनों को मजबूत करता है और प्यार और स्नेह का संदेश देता है।
इसे रक्षा बंधन के रूप में भी मनाया जाता है, जिसमें भाई-बहन के बंधन को महत्वपूर्ण बनाया जाता है। इस दिन भगवान शिव, माँ पार्वती और विष्णु जी की पूजा और अन्य धार्मिक क्रियाएँ भी होती हैं।
श्रावण पूर्णिमा (Shravan Purnima) एक दिन है जब परिवार के सदस्यों के बीच आदर्श और समर्पण का संदेश देने का सही मौका होता है।