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शीतला सातम (Shitala Satam): तिथि, महत्व और मनाने का तरीका

शीतला सातम (Shitala Satam)
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हमारे देश में अनगिनत त्योहारों का आयोजन होता है, जिनमें से प्रत्येक त्योहार अपने अपने महत्व और परंपरागत तत्त्वों से भरपूर होता है।

यह त्योहार हमारे समाज की सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं और इनका मनाना हमारे जीवन में एक विशेष प्रकार की ऊर्जा लता है।

इसी तरह का एक महत्वपूर्ण त्योहार है “शीतला सातम (Shitala Satam)” जो भारतीय परंपरा में माँ शीतला की पूजा के रूप में मनाया जाता है।

इस लेख में, हम जानेंगे कि शीतला सातम 2023 (Shitala Satam Date 2023) कब है और इसका महत्व क्या है।

शीतला सातम (Shitala Satam) क्या है?

शीतला सातम (Shitala Satam), जिसे शीतला सप्तमी भी कहा जाता है, एक हिन्दू पर्व है जो माँ शीतला की पूजा के रूप में मनाया जाता है।

इस पर्व का आयोजन भारत के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न नामों से किया जाता है, जैसे कि बसोड़ा जयंती, बसोड़ा सातम, बसोड़ा सप्तमी और शीतला सप्तमी।

इस पर्व का मुख्य उद्देश्य माँ शीतला की पूजा करना और उन्हें खुश करना होता है, जिन्हें आप किसी भी रूप में पूज सकते हैं, लेकिन आमतौर पर एक सफेद साड़ी में उन्हें दर्शाया जाता है।

माँ शीतला को बच्चों की सुरक्षा की देवी माना जाता है और उनकी कृपा से घर में बरकत होती है। यह पर्व खासकर उत्तर भारतीय राज्यों में प्रसिद्ध है और वहां देखभाल की देवी के रूप में माँ शीतला की पूजा की जाती है।

शीतला सातम (Shitala Satam) का महत्व

शीतला सातम (Shitala Satam) का महत्व भारतीय समाज के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण है। इसे माँ शीतला की कृपा प्राप्ति के रूप में माना जाता है और लोग इस दिन उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं।

शीतला सातम (Shitala Satam) के दिन, माँ शीतला की पूजा की जाती है और उनके लिए खास भोग प्रस्तुत किए जाते हैं। यह भोग सफेद अन्न, दूध, दही, और मिठाई का बना होता है।

इसके बाद, यह भोग माँ शीतला के सच्चे भक्तों को बाँट दिया जाता है और वे इसे प्रसाद के रूप में खाते हैं।

शीतला सातम (Shitala Satam), जो गुजराती कैलेंडर में एक महत्वपूर्ण दिन है, एक प्रमुख पर्व है जो देवी शीतला को समर्पित है।

यह पर्व देवी शीतला को उनके भक्तों और उनके परिवारों की सुरक्षा प्रदान करने के लिए मनाया जाता है। मान्यता है की देवी को खसरा और चिकनपॉक्स से बचाव के लिए पूजा जाता है।

गुजरात में, इस अवसर पर परिवार शीतला सातम (Shitala Satam) के अनुष्ठान का पालन करते हैं। इसे गुजरात में “रंधन छठ” के साथ जोड़ कर भी मनाया जाता है जिसमें परिवार एक दिन पहले ताजा खाना नहीं पकाता है।

इसके बजाय, भोजन ठंडा और बासी होता है। इसलिए गुजरात में लोग शीतला सातम (Shitala Satam) के एक दिन पहले यानि कि रंधन छठ के दिन अच्छे-अच्छे पकवान बनाते हैं और अगले दिन यानी कि शीतला सातम (Shitala Satam) के दिन वही ठंडा भोजन खाया जाता है।

इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि इसके माध्यम से लोग देवी शीतला का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं और अपने परिवार को खसरा और चिकनपॉक्स की बीमारी से बचाने की प्रार्थना करते हैं।

इसी पर्व कि तरह एक अन्य पर्व है जिसे बसोड़ा या शीतला अष्टमी कहा जाता है जो कि उत्तर भारत में मनाई जाती है। शीतला अष्टमी होली के तुरंत बाद मनाई जाती है।

शीतला सातम (Shitala Satam)

शीतला सातम 2023 (Shitala Satam Date 2023)कब है?

शीतला सातम (Shitala Satam) का आयोजन हर वर्ष हिन्दू पंचांग के अनुसार होता है और इसकी तारीख हर साल बदलती है।

शीतला सातम 2023 (Shitala Satam Date 2023) की तारीख जानने के लिए, हमें वर्ष 2023 के हिन्दू पंचांग की ओर मुख करना पड़ेगा। यह पंचांग हमें सभी हिन्दी त्योहारों की तारीख और समय की जानकारी प्रदान करता है।

इस वर्ष 2023 को शीतला सातम (Shitala Satam Date 2023) भाद्रपद की कृष्ण सप्तमी को मनाई जाएगी। यह दिन अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार सितम्बर 5, 2023, मंगलवार का दिन है।

इस तारीख को शीतला सातम (Shitala Satam) या शीतला सप्तमी के रूप में मनाया जाएगा।

शीतला सातम (Shitala Satam) के पर्व में सफेद रंग का महत्व

शीतला सातम (Shitala Satam) के दिन लोग अपने घरों की सफाई करते हैं और अच्छे से सजाते हैं। घर को सफेद या अन्य रंगों से रंगते हैं और इसे सुंदर बनाते हैं।

इसका मकसद होता है कि माँ शीतला को सफेद (माँ को सफ़ेद रंग के साथ जोड़कर देखा जाता है) और सुंदर मकान में प्रवेश करके अपने भक्तों का भला करें।

इसके अलावा, इसे घरों की अच्छे से सफाई करके उसमें शीतला माता की प्रतिष्ठा करने का अवसर भी होता है।

इस महत्वपूर्ण लेख को भी पढ़ें – कृष्ण जन्माष्टमी (Krishna Janmashtami): भगवान श्रीकृष्ण के आविर्भाव की महिमा

निष्कर्ष

शीतला सातम (Shitala Satam) एक महत्वपूर्ण हिन्दू पर्व है जो माँ शीतला की पूजा के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व भारत के विभिन्न हिस्सों में विभिन्न नामों से मनाया जाता है और हर साल शीतला सप्तमी के रूप में मनाया जाता है।

इस पर्व का महत्व भारतीय समाज में अत्यधिक होता है, और लोग इसे माँ शीतला की कृपा प्राप्ति के रूप में मनाते हैं।

शीतला सातम (Shitala Satam) की इस वर्ष तारीख के बारे में जानकारी प्राप्त करके, आप इसे मनाने के लिए तैयारी कर सकते हैं और इस पर्व का आनंद उठा सकते हैं।

यह एक अद्वितीय मौका होता है अपने परिवार और समुदाय के साथ समय बिताने का और माँ शीतला की कृपा का आभास करने का।

जय माँ शीतला!

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