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पापांकुशा एकादशी व्रत कथा (Papankusha Ekadashi Vrat Katha In Hindi)

पापांकुशा एकादशी व्रत की कथा (Papankusha Ekadashi Vrat Katha)

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पापांकुशा एकादशी व्रत की कथा (Papankusha Ekadashi Vrat Katha In Hindi)

पापांकुशा एकादशी (Papankusha Ekadashi) हिंदू धर्म में एक पवित्र दिन माना जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार यह दिन आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन होता है।

ऐसी मान्यता है कि पापांकुशा एकादशी के दिन व्रत का पालन करने से मनुष्य के सभी पाप नष्ट होते हैं और व्यक्ति को स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

जैसे कि नाम से ही स्पष्ट है, “पापांकुशा” का अर्थ है “पाप पर अंकुश” लगाना। जो व्यक्ति अपने किये गए बड़े से भी बड़े पापों पर अंकुश लगाना चाहते हैं और एक अच्छा जीवन चाहते हैं उन्हें इस एकादशी के दिन व्रत का पालन करना चाहिए तथा व्रत कथा का पाठ करना चाहिए।

पापांकुशा एकादशी व्रत (Papankusha Ekadashi Vrat) और पापांकुशा एकादशी व्रत कथा (Papankusha Ekadashi Vrat Katha) के पुण्य प्रभाव से भक्त पर भगवान श्री विष्णु जी की कृपा होती है।

पापांकुशा एकादशी व्रत (Papankusha Ekadashi Vrat) और पापांकुशा एकादशी व्रत कथा (Papankusha Ekadashi Vrat Katha) के पुण्य फल से मृत्यु के बाद स्वर्ग की प्राप्ति होती है तथा अपने जीवन में किये गए बुरे कर्मों से मुक्ति मिल जाती है।

अगर आप वर्ष की सभी एकादशी व्रतों की विधि तथा व्रत कथा पढ़ना चाहते हैं तो निचे दिए गए लिंक पर क्लिक कीजिये। हमने सभी एकादशी व्रत विधि तथा कथाओं के ऊपर लेख विस्तार में लिखे हुए हैं।

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इस लेख में हम पापांकुशा एकादशी व्रत (Papankusha Ekadashi Vrat), पापांकुशा एकादशी व्रत विधि (Papankusha Ekadashi Vrat Vidhi) और पापांकुशा एकादशी व्रत कथा (Papankusha Ekadashi Vrat Katha) के बारे में जानेंगे।

पापांकुशा एकादशी व्रत और पापांकुशा एकादशी व्रत कथा कब करनी चाहिए? (When to do Papankusha Ekadashi Vrat and Papankusha Ekadashi Vrat Katha?)

पापांकुशा एकादशी व्रत (Papankusha Ekadashi Vrat) और पापांकुशा एकादशी व्रत कथा (Papankusha Ekadashi Vrat Katha) ईश्वर से सुख प्राप्ति, पापों से मुक्ति, स्वर्ग प्राप्ति और आध्यात्मिक सफाई के बारे में है।

यह दिन भगवान विष्णु जी को समर्पित है। हिंदू मान्यता के अनुसार एक चंद्र चरण के दो अलग-अलग चरण होते हैं – कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। प्रत्येक चरण (पक्ष) 14 दिनों का होता है। इन दोनों पक्षों को ही हिन्दू कैलेंडर माह के पक्ष भी कहा जाता है।

दोनों पक्षों के ग्यारहवें दिन को एकादशी कहा जाता है। इसलिए एक माह में दो एकादशी के दिन आते हैं। इस दिन रखे जाने वाले व्रत या कर्मकांड को एकादशी व्रत कहा जाता है और दुनिया भर में लाखों हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है।

आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पापांकुशा एकादशी कहा जाता है। इस दिन ही पापांकुशा एकादशी व्रत (Papankusha Ekadashi Vrat) तथा पापांकुशा एकादशी व्रत कथा (Papankusha Ekadashi Vrat Katha) रखनी चाहिए।

पापांकुशा एकादशी व्रत (Papankusha Ekadashi Vrat) एक दिन पहले सूर्यास्त से शुरू होकर एकादशी के अगले दिन सूर्योदय के बाद तक रखा जाता है।

पापांकुशा एकादशी व्रत कथा विधि (Papankusha Ekadashi Vrat Katha Vidhi In Hindi)

पापांकुशा एकादशी व्रत (Papankusha Ekadashi Vrat) और पापांकुशा एकादशी व्रत कथा (Papankusha Ekadashi Vrat Katha) की पूजा विधि इस प्रकार है।

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
  • घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
  • भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
  • भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी अर्पित करें।
  • अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
  • व्रत कथा का पाठ करें। (व्रत कथा इस लेख में निचे दी गयी है। कृपया कर के व्रत कथा वहां से पढ़ें।)
  • भगवान की आरती करें। (इस लेख के अंत में एकादशी आरती के लेख का लिंक दिया गया है। उस पर क्लिक कर के आप एकादशी आरती पढ़ सकते हैं।)
  • भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
  • इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
  • इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
  • अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत खोलें और सात्विक भोजन करें। बहुत से लोग व्रत के दौरान फलाहार ग्रहण करते हैं और कुछ लोग कुछ भी खाना ग्रहण नहीं करते। यहाँ तक की पानी भी ग्रहण नहीं करते। परन्तु आप व्रत के दौरान फलाहार ग्रहण कर सकते हैं।
इस महत्वपूर्ण लेख को भी पढ़ें - 
जया एकादशी (Jaya Ekadashi) के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी अपरा एकादशी व्रत कथा (Apara Ekadashi Vrat Katha In Hindi)

पापांकुशा एकादशी व्रत और पापांकुशा एकादशी व्रत कथा के लाभ (Benefits of Papankusha Ekadashi Vrat and Papankusha Ekadashi Vrat Katha)

पापांकुशा एकादशी व्रत (Papankusha Ekadashi Vrat) और पापांकुशा एकादशी व्रत कथा (Papankusha Ekadashi Vrat Katha) का लाभ उन लोगों के लिए है जो भगवान विष्णु की आस्था और पूजा करते हैं।

इसे हिंदू धर्म में सबसे फलदायी व्रतों में से एक माना जाता है। एकादशी व्रत के लाभ आपको शांति, सद्भाव और समृद्धि ला सकते हैं।

इस पवित्र हिंदू अनुष्ठान के भक्त, मन की शांति के साथ बड़े से बड़े पाप पर अंकुश लगाने में सहायता, स्वर्ग और श्री विष्णु जी की कृपा प्राप्त करते हैं।

पापांकुशा एकादशी व्रत (Papankusha Ekadashi Vrat) और पापांकुशा एकादशी व्रत कथा (Papankusha Ekadashi Vrat Katha) को ईश्वर से अपने द्वारा किये गए बुरे कर्मों की क्षमा याचना के लिए अति योग्य माना जाता है।

जो मनुष्य इस महत्त्वपूर्ण पापांकुशा एकादशी व्रत कथा (Papankusha Ekadashi Vrat Katha) को पढ़ता या सुनता है उसे अंत में स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

पापांकुशा एकादशी व्रत कथा (Papankusha Ekadashi Vrat Katha In Hindi)

बहुत समय पहले की बात है। चंद्रशिखा पर्वत पर एक छोटा सा गाँव था। वहाँ भीमा नाम का एक बहेलिया रहता था। भीमा बहुत ही बुरे कार्यों में संलग्न था। वह जीवन भर हिंसा तथा लूटपाट करता रहा।

वह हमेशा से स्त्रियों के प्रति आसक्त रहा और मद्यपान का आदि था। अब उसका अंतिम समय निकट आ गया था। यमराज ने अपने दूतों को भीमा को लाने के लिए भेजा।

दूत भीमा के पास गए और उन्होंने भीमा को बताया कि कल तुम्हारे जीवन का अंतिम दिन है तथा कहा कि वे उसे कल अपने साथ लेने आएंगे।

यह बात जान कर भीमा बहुत ही दुखी हुआ और भयभीत होकर रोने लगा। रोते रोते हुए भीमा महर्षि अंगिरा के आश्रम पहुंचा। भीमा महर्षि अंगिरा के चरणों में गिर गया और फुट फुट कर रोने लगा।

भीमा ने महर्षि अंगिरा से कहा – “हे महर्षि! मुझे बचा लीजिये। मैंने अपने जीवन काल में बहुत ही जघन्य पाप किये हैं। बुरे कर्मों के कारण मैं बहुत ही मलीन हो चूका हूँ।”

भीमा ने आगे कहा – “हे गुरदेव! आज यमराज के दूत आये थे और उन्होंने मुझे कल अपने साथ ले जाने के लिए कहा। मुझ पर कृपा करके मुझे कोई ऐसा उपाय बताईये जिस से मेरे द्वारा किये गए सभी पाप नष्ट हो जाएं और मेरी आत्मा को शांति मिल सके।”

भीमा की ऐसी स्थिति देखकर महर्षि अंगिरा ने करुणावश भीमा से कहा – “उठो वत्स! कल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष के दिन आने वाली पापांकुशा एकादशी है। इस एकादशी के व्रत का पालन करो तथा व्रत कथा का पाठ करो। तुम्हें तुम्हारे पापों से मुक्ति मिलेगी। जाओ तुम्हारा कल्याण हो!”

महर्षि अंगिरा की आज्ञानुसार भीमा ने पापांकुशा एकादशी के व्रत का पालन किया तथा व्रत कथा का पाठ किया और इस व्रत के पुण्य प्रभाव से भीमा पर भगवान श्री विष्णु जी की कृपा हुई।

ईश्वर की कृपा से भीमा को विष्णुलोक की प्राप्ति हुई। जब अगले दिन यमदूत भीमा को लेने पहुंचे तो वह सब बातें जानकार चकित रह गए और भीमा को वहाँ न पाकर वापस यमलोक लौट गए।

इस कथा से हमें पापांकुशा एकादशी व्रत (Papankusha Ekadashi Vrat) और पापांकुशा एकादशी व्रत कथा (Papankusha Ekadashi Vrat Katha) का महत्त्व पता चलता है।

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