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पद्मावती मंदिर, तिरुचनूर

पद्मावती मंदिर, तिरुचनूर

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पद्मावती मंदिर, तिरुचनूर

पद्मावती मंदिर श्री वेंकटेस्वर स्वामी जी की सहगामिनी (पत्नी) देवी पद्मावती जी का मंदिर है। देवी पद्मावती जी को देवी अलामेलुमंगा के नाम से भी जाना जाता है।

पद्मावती मंदिर आंध्र प्रदेश के तिरुचनूर में स्थित है। तिरुचनूर चित्तूर जिले का एक क़स्बा है जो कि तिरुपति से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

जैसे कि आप जानते ही हैं भगवान श्री वेंकटेस्वर स्वामी जी को दक्षिण भारत में ज़्यादा पूजा जाता है। ऐसा नहीं है कि दक्षिण भारत में ही श्री वेंकटेस्वर स्वामी जी की मान्यता है बल्कि पूरे भारत से श्रद्धालु उनके लिए समर्पित तिरुपति बालाजी मंदिर में उनके दर्शन करने के लिए आते हैं।

भगवान श्री वेंकटेस्वर स्वामी मंदिर (तिरुपति बालाजी मंदिर) के बारे में हमने पहले से लेख लिखा हुआ है। आप निचे दिए गए लिंक पर उसे पढ़ सकते हैं।

भगवान श्री वेंकटेस्वर स्वामी मंदिर (तिरुपति बालाजी मंदिर)

तो इस लेख में हम पद्मावती मंदिर के बारे में जानेंगे और साथ ही जानेंगे इस भव्य मंदिर से जुड़ी हुई अन्य जानकारी के बारे में।

पद्मावती मंदिर भारत के किस राज्य में स्थित है?

पद्मावती मंदिर भारत के दक्षिण में आंध्र प्रदेश राज्य में स्थित है। यह चित्तूर जिले के तिरुचनूर में स्थित है। तिरुचनूर में मिले कई शिलालेखों से पता चलता है कि तिरुचनूर को “अलारुमेलुमंगा पुरम” के नाम से भी जाना जाता था परन्तु समय के साथ साथ कुछ शिलालेख नष्ट हो गए और इसका नाम “अलारुमेलुमंगा पुरम” से “अलामेलु मंगपुरम” में तब्दील हो गया।

इतिहास की बात करें तो तिरुचनूर पल्लव और चोला राजवंशों के अधीन रहा है। अपने शासन काल के दौरान पल्लव राजवंश ने इसे तिरुवेंकटम का हिस्सा बनाया था और चोला राजवंश ने तिरुचनूर को राजेंद्र चोलामंडलम का हिस्सा बनाया था।

पद्मावती मंदिर की वास्तुकला शैली कैसी है?

पद्मावती मंदिर का निर्माण द्रविड़ वास्तुकला शैली के द्वारा किया गया है। यह एक विशाल मंदिर है और मंदिर परिसर भी काफी विशाल है। पुष्करिणी और प्रसाद ग्रहण करने के लिए अलग से परिसर का निर्माण किया गया है।

मंदिर के समीप ही एक सुन्दर तालाब है जिसका नाम पद्मसरोवर है। मंदिर परिसर में दो अन्य मंदिर हैं जो इस प्रकार है – श्री कृष्ण स्वामी मंदिर और श्री सुंदरराजस्वामी मंदिर। यह दोनों मुख्य मंदिर के भीतर दो उपमंदिर हैं।

देवी पद्मावती माँ लक्ष्मी का ही एक रूप हैं जो भगवान श्री वेंकटेस्वर स्वामी जी की सहगामिनी के रूप में प्रकट हुई थीं। मंदिर में देवी पद्मावती की मूर्ती का मुख पूर्व दिशा की ओर स्थापित किया गया है।

पद्मावती मंदिर, तिरुचनूर

पद्मावती मंदिर का धार्मिक महत्त्व क्या है?

जैसे कि आप जानते हैं श्री वेंकटेस्वर स्वामी जी को दक्षिण भारत में बहुत ही सत्कार से पूजा जाता है। बल्कि पूरे भारत और दुनिया से भी लोग उनके दर्शन के लिए तिरुपति आते हैं। उसी प्रकार देवी लक्ष्मी का रूप देवी पद्मावती भी श्रद्धालुओं के लिए पूजनीय हैं।

यह मंदिर श्री वेंकटेस्वर स्वामी जी के मंदिर से लगभग 26 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। जो कोई भगवान श्री वेंकटेस्वर स्वामी जी के दर्शन के लिए आता है वह श्रद्धालु देवी माँ पद्मावती के दर्शन ज़रूर करता है। यही वजह है कि यह मंदिर हिन्दू श्रद्धालुओं में बहुत महत्वपूर्ण है।

पद्मावती मंदिर में दर्शन का समय क्या है?

पद्मावती मंदिर में देवी माँ पद्मावती जी के दर्शन का समय सुबह लगभग 7:30 से शाम लगभग 6:00 तक होता है। इसलिए अपने समयनुसार आप देवी माँ के दर्शन करने जा सकते हैं। यह मंदिर “तिरुमला तिरुपति देवस्थानम” प्रशासन के अधीन आता है। दर्शन का समय मंदिर प्रशासन के द्वारा समय समय पर बदला भी जा सकता है।

कृपया कर के निचे दी गयी पद्मावती मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट से ज़रूर जांचें।

पद्मावती मंदिर की आधिकारिक वेबसाइट

पद्मावती मंदिर कैसे पहुंचा जा सकता है?

पद्मावती मंदिर तक पहुंचना बहुत ही आसान है। पद्मावती मंदिर तिरुचनूर में स्थित है और तिरुचनूर तिरुपति से लगभग 5 किलोमीटर की दूरी पर है। भारत के किसी भी कोने से आप तिरुपति पहुँच सकते हैं।

आप भारतीय रेल द्वारा सफर कर के तिरुपति रेलवे स्टेशन पहुँच सकते हैं या फिर हवाई मार्ग से भी आप तिरुपति अंतर्राष्ट्रीय एयरपोर्ट तक आसानी से पहुँच सकते हैं। यहाँ से पद्मावती मंदिर में देवी माँ के दर्शन के लिए आप सड़क मार्ग का उपयोग कर सकते हैं। आपको यहाँ आसानी से तिरुचनूर के लिए बस की सुविधा मिल जाएगी।

निष्कर्ष

तो इस लेख में हमने पद्मावती मंदिर के बारे में जाना और साथ ही मंदिर से जुड़े अन्य तथ्यों के बारे में जानकारी प्राप्त की। आशा करता हूँ आपको यह लेख अच्छा लगा होगा और आपके ज्ञान में इससे वृद्धि हुई होगी।

खुश रहे, स्वस्थ रह…

जय श्री कृष्ण!

पद्मावती मंदिर, तिरुचनूर – PDF Download


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इस महत्वपूर्ण लेख को भी पढ़ें - श्री वेंकटेस्वर स्वामी वारि मंदिर (तिरुपति बालाजी मंदिर), तिरुमला

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