Mangla Gauri Vrat Katha In Hindi (मंगला गौरी व्रत कथा)


Mangla Gauri Vrat Katha In Hindi (मंगला गौरी व्रत कथा)

देवी पार्वती आनंदित विवाहित महिलाओं का आदर्श प्रतीक हैं। मंगला गौरी को श्रावण मास की देवी भी कहा जाता है। श्रवण मंगला गौरी व्रत या मंगला गौरी पूजा को सबसे अधिक फायदेमंद व्रतों या उपवासों में से एक माना जाता है। यह श्रावण मास के महीने में किया जाता है।

यह कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र के कुछ समुदायों में विवाहित और अविवाहित महिलाओं द्वारा मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण व्रत है। यह व्रत पति की लंबी उम्र और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए किया जाता है। मंगला गौरी व्रत मंगलवार या श्रवण मंगलवार को श्रावण मासी के दौरान मनाया जाता है

हिंदू धर्म के अनुसार ऐसा माना जाता है कि मंगला गौरी पूजा एक अच्छा पति पाने और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए की जाती है।

यदि आप विवाह से संबंधित कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं जैसे कि आपकी शादी में देरी हो रही है, आपके और आपके साथी के बीच वैवाहिक विवाद और मंगल दोष है, तो इन समस्याओं को हल करने के लिए यह सबसे प्रमुख पूजाओं में से एक है।

इस लेख में हम मंगला गौरी व्रत और Mangla Gauri Vrat Katha (मंगला गौरी व्रत कथा) के बारे में जानेंगे।

When to do Mangla Gauri Vrat and Mangla Gauri Vrat Katha (मंगला गौरी व्रत और मंगला गौरी व्रत कथा कब करनी चाहिए)?

श्रावण मास में, भक्त भगवान शिव की पूजा करते हैं, और श्रावण मास के प्रत्येक मंगलवार को, महिलाएं भगवान और देवी को प्रसन्न करने के लिए मंगला गौरी व्रत और Mangla Gauri Vrat Katha (मंगला गौरी व्रत कथा) रखती हैं।

Mangla Gauri Vrat Katha Vidhi In Hindi (मंगला गौरी व्रत कथा विधि)

इस व्रत और कथा की विधि इस प्रकार है।

  • सुबह जल्दी उठकर नहा लें और साफ कपड़े पहनें.
  • लकड़ी के चबूतरे पर लाल कपड़ा बिछाएं।
  • देवी पार्वती और भगवान गणेश की मूर्तियां स्थापित करें।
  • पूजा गेहूं के आटे के दीपक से की जाती है.
  • हल्दी, कुमकुम, अक्षत, सुपारी और सिंदूर आदि का भोग लगाया जाता है.
  • Mangla Gauri Vrat Katha (मंगला गौरी व्रत कथा) का पाठ किया जाता है।
  • नैवेद्य अर्पित किया जाता है।
  • मंगला गौरी की आरती की जाती है।
  • अनजाने में किए गए पापों और गलतियों के लिए हाथ जोड़कर क्षमा मांगें।
  • अगले दिन देवी की मूर्ति को किसी नदी या तालाब में विसर्जित करें.
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Mangla Gauri Vrat Katha In Hindi (मंगला गौरी व्रत कथा)

Benefits of Mangla Gauri Vrat and Mangla Gauri Vrat Katha (मंगला गौरी व्रत और मंगला गौरी व्रत कथा के लाभ)

मंगला गौरी व्रत और Mangla Gauri Vrat Katha (मंगला गौरी व्रत कथा) के लाभ इस प्रकार हैं।

शादी

  • यदि महिलाओं को विवाह में देरी का सामना करना पड़ रहा है तो यह मंगला गौरी व्रत और Mangla Gauri Vrat Katha (मंगला गौरी व्रत कथा) उन्हें प्रक्रिया में तेजी लाने और मनचाहा जीवनसाथी पाने में मदद करेगी।
  • यह वैवाहिक विवादों को सुलझाने में बहुत मददगार है।

मंगल / मांगलिक दोष

  • यदि किसी की कुंडली/जन्म कुंडली में मंगल या मांगलिक दोष है तो यह मंगला गौरी व्रत और Mangla Gauri Vrat Katha (मंगला गौरी व्रत कथा) इस दोष को दूर करने में मदद करता है।

Mangla Gauri Vrat Katha In Hindi (मंगला गौरी व्रत कथा)

बहुत पुरानी बात थी, एक समय मे कुरु नामक देश मे, श्रुतिकीर्ति बहुत प्रसिद्ध सर्वगुण संपन्न, अतिविद्द्वान राजा हुआ करता था जोकि, अनेको कलाओं मे तथा विशेष रूप से धनुष विध्या मे निपूर्ण था।

सम्पूर्ण सुखो के बाद भी राजा बहुत दुखी और परेशान था क्योंकि, उसके कोई पुत्र नही था। वह संतान सुख से वर्जित था। जिसके चलते राजा ने कई जप-तप, ध्यान, और अनुष्ठान कर देवी की भक्ति-भाव से तपस्या करी।

देवी प्रसन्न हुई, और कहा- हे राजन! मांगो क्या मांगना चाहते हो। तब राजा ने कहा माँ, मे सर्वसुखो व धन-धान्य से समर्ध हूँ। यदि कुछ नही है तो, वह संतान-सुख जिससे मैं वंचित हूँ। मुझे वंश चलाने के लिये वरदान के रूप मे, एक पुत्र चाहिए।

देवी माँ ने कहा राजन, यह बहुत ही दुर्लभ वरदान है, पर तुम्हारे तप से प्रसन्न हो कर, मैं यह वरदान तो देती हूँ, परन्तु तुम्हारा पुत्र सोलह वर्ष तक ही जीवित रहेगा। यह बात सुन कर राजा और उनकी पत्नी बहुत चिंतित हुये। सभी बातोँ को जानते हुए भी राजा-रानी ने यह वरदान माँगा।

देवी माँ के आशिर्वाद से रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया। राजा ने उस बालक का नामकरण संस्कार कर, उसका नाम चिरायु रखा। साल बीतते गये, राजा को अपने पुत्र की अकाल म्रत्यु की चिंता सताने लगी।

तब किसी विद्वान के कहानुसार, राजन ने सोलह वर्ष से पूर्व ही, अपने पुत्र का विवाह ऐसी कन्या से कराया जो, मंगला गौरी व्रत और Mangla Gauri Vrat Katha (मंगला गौरी व्रत कथा) करती थी, जिससे उस कन्या को भी व्रत के फल स्वरूप, सर्वगुण सम्पन्न वर की प्राप्ति हुई।

तथा उस कन्या को सौभाग्यशाली व सदा सुहागन का वरदान प्राप्त था। जिससे विवाह के उपरान्त, उसके पुत्र की अकाल मत्यु का दोष स्वत: ही समाप्त हो गया, और राजा का वह पुत्र अपने नाम के अनुसार, चिरायु हुआ।

इस तरह जो भी, स्त्री या कुवारी कन्या पुरे भक्ति-भाव से, यह फलदायी मंगला गौरी व्रत और Mangla Gauri Vrat Katha (मंगला गौरी व्रत कथा) करती है, उसकी सब ईच्छा पूर्ण होकर सर्वसुखो की प्राप्ति होती है।

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