कामदा एकादशी व्रत कथा (Kamada Ekadashi Vrat Katha In Hindi)


कामदा एकादशी व्रत कथा (Kamada Ekadashi Vrat Katha In Hindi)

कामदा एकादशी (Kamada Ekadashi) हिंदू धर्म में एक पवित्र दिन माना जाता है। हिन्दू कैलेंडर के अनुसार यह दिन चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी के दिन होता है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार यह दिन मार्च या अप्रैल के महीने में आता है।

कामदा एकादशी ब्रह्महत्या जैसे महा पाप के साथ साथ बुरे कर्मों से उत्पन हुए पिशाचतत्व जैसे दोष का नाश करने के लिए मनाई जाती है।

कामदा एकादशी व्रत (Kamada Ekadashi Vrat) और कामदा एकादशी व्रत कथा (Kamada Ekadashi Vrat Katha) के पुण्य प्रभाव से सभी पापों और बुरे कर्मों से मुक्ति मिलती है और तेजस्वी संतान की प्राप्ति होती है।

कामदा एकादशी (Kamada Ekadashi) के दिन व्रत रखने से मनुष्य पर भगवान श्री विष्णु जी की कृपा होती है और कठोर से कठोर पाप से मुक्त होकर मृत्यु के बाद एक अच्छा जन्म प्राप्त करता है।

हिन्दू धर्म को मानने वाले लोग कामदा एकादशी के दिन उपवास रखते हैं और अपने जीवन में किये गए घनिष्ट पापों से मुक्ति के लिए भगवान श्री विष्णु जी की पूजा करते हैं।

यह दिन विशेष रूप से विष्णु जी के भक्त वैष्णव संप्रदाय के लोगों द्वारा मनाया जाता है। ऐसी मान्यता है कि कामदा एकादशी व्रत कथा (Kamada Ekadashi Vrat Katha) पढ़ने या सुनने से वाजपेय यज्ञ का फल प्राप्त होता है।

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इस लेख में हम कामदा एकादशी व्रत (Kamada Ekadashi Vrat), कामदा एकादशी व्रत विधि (Kamada Ekadashi Vrat Vidhi) और कामदा एकादशी व्रत कथा (Kamada Ekadashi Vrat Katha) के बारे में जानेंगे।

कामदा एकादशी व्रत और कामदा एकादशी व्रत कथा कब करनी चाहिए? (When to do Kamada Ekadashi Vrat and Kamada Ekadashi Vrat Katha?)

कामदा एकादशी व्रत (Kamada Ekadashi Vrat) और कामदा एकादशी व्रत कथा (Kamada Ekadashi Vrat Katha) ईश्वर से सुख प्राप्ति, ब्रह्महत्या जैसे महा पाप से मुक्ति, अन्य कठोरतम पापों से मुक्ति, पिशाचतत्व से मुक्ति और तेजस्वी संतान की प्राप्ति और आध्यात्मिक सफाई के बारे में है।

यह दिन भगवान विष्णु जी को समर्पित है। हिंदू मान्यता के अनुसार एक चंद्र चरण के दो अलग-अलग चरण होते हैं – कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष। प्रत्येक चरण (पक्ष) 14 दिनों का होता है। इन दोनों पक्षों को ही हिन्दू कैलेंडर माह के पक्ष भी कहा जाता है।

दोनों पक्षों के ग्यारहवें दिन को एकादशी कहा जाता है। इसलिए एक माह में दो एकादशी के दिन आते हैं। इस दिन रखे जाने वाले व्रत या कर्मकांड को एकादशी व्रत कहा जाता है और दुनिया भर में लाखों हिंदुओं द्वारा मनाया जाता है।

चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को कामदा एकादशी कहा जाता है। इस दिन ही कामदा एकादशी व्रत (Kamada Ekadashi Vrat) तथा कामदा एकादशी व्रत कथा (Kamada Ekadashi Vrat Katha) रखनी चाहिए।

कामदा एकादशी व्रत (Kamada Ekadashi Vrat) एक दिन पहले सूर्यास्त से शुरू होकर एकादशी के अगले दिन सूर्योदय के बाद तक रखा जाता है।

कामदा एकादशी व्रत कथा विधि (Kamada Ekadashi Vrat Katha Vidhi In Hindi)

कामदा एकादशी व्रत (Kamada Ekadashi Vrat) और कामदा एकादशी व्रत कथा (Kamada Ekadashi Vrat Katha) की पूजा विधि इस प्रकार है।

  • सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।
  • घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।
  • भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।
  • भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी अर्पित करें।
  • अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।
  • व्रत कथा का पाठ करें। (व्रत कथा इस लेख में निचे दी गयी है। कृपया कर के व्रत कथा वहां से पढ़ें।)
  • भगवान की आरती करें। (इस लेख के अंत में एकादशी आरती के लेख का लिंक दिया गया है। उस पर क्लिक कर के आप एकादशी आरती पढ़ सकते हैं।)
  • भगवान को भोग लगाएं। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फ सात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है। भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें। ऐसा माना जाता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं।
  • इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।
  • इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।
  • अगले दिन सूर्योदय के बाद व्रत खोलें और सात्विक भोजन करें। बहुत से लोग व्रत के दौरान फलाहार ग्रहण करते हैं और कुछ लोग कुछ भी खाना ग्रहण नहीं करते। यहाँ तक की पानी भी ग्रहण नहीं करते। परन्तु आप व्रत के दौरान फलाहार ग्रहण कर सकते हैं।
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कामदा एकादशी व्रत और कामदा एकादशी व्रत कथा के लाभ (Benefits of Kamada Ekadashi Vrat and Kamada Ekadashi Vrat Katha)

कामदा एकादशी व्रत (Kamada Ekadashi Vrat) और कामदा एकादशी व्रत कथा (Kamada Ekadashi Vrat Katha) का लाभ उन लोगों के लिए है जो भगवान विष्णु की आस्था और पूजा करते हैं।

इसे हिंदू धर्म में सबसे फलदायी व्रतों में से एक माना जाता है। एकादशी व्रत के लाभ आपको शांति, सद्भाव और समृद्धि ला सकते हैं।

इस पवित्र हिंदू अनुष्ठान के भक्त, मन की शांति के साथ ब्रह्महत्या जैसे महा पाप से मुक्ति, अन्य कठोरतम पापों से मुक्ति, पिशाचतत्व से मुक्ति और तेजस्वी संतान की प्राप्ति और अगले जन्म में अच्छा जीवन प्राप्त करते हैं।

कामदा एकादशी व्रत (Kamada Ekadashi Vrat) और कामदा एकादशी व्रत कथा (Kamada Ekadashi Vrat Katha) को मनुष्य द्वारा अपने जीवन में किये गए पापों से मुक्ति के लिए अति योग्य माना जाता है।

जो मनुष्य इस महत्त्वपूर्ण कामदा एकादशी व्रत कथा (Kamada Ekadashi Vrat Katha) को पढ़ता या सुनता है उसे अंत में स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

कामदा एकादशी व्रत कथा (Kamada Ekadashi Vrat Katha In Hindi)

बहुत समय पहले की बात है। स्वर्गलोक पर एक नगर था जिसका नाम भोगीपुर था। भोगीपुर का राजा पुण्डरीक था। भोगीपुर एक अनेक ऐश्वर्यों से युक्त नगर था।

इस नगर में बहुत ही सुन्दर अप्सराएं, किन्नर तथा गन्धर्व रहा करते थे। इस नगर के सभी वासी अत्यंत वैभवशाली जीवन व्यतीत करते थे।

ऐसे ही ललित और ललिता नाम के पति-पत्नी एक विशाल और अति सुन्दर घर में निवास करते थे। दोनों पति-पत्नी में बहुत ही स्नेह था और दोनों एक दूसरे से ज़्यादा समय तक अलग रहने पर व्याकुल हो जाते थे।

एक दिन राजा के महल में दरबार लगा और गन्धर्व ललित का दरबार में गाना गाने का कार्यक्रम आरम्भ हुआ। गाना गाते समय अचानक से उसे अपनी पत्नी ललिता की याद आ गयी।

इस कारण गन्धर्व ललित के सुर बिगड़ गए और वह गाने की लय भूल गया। वहीं सभा में बैठे कर्कट नाम के नाग ने इस त्रुटि को भांप लिया और राजा के सामने यह बात बता दी।

यह बात सुन कर राजा ललित पर क्रोधित हो उठा और देखते ही देखते राजा ने ललित को राक्षस होने का श्राप दे दिया। इस बात से ललित बहुत दुःखी हो गया।

जब यह बात ललिता को पता चली तो उसे भी इस बात का बहुत दुःख हुआ। श्राप के कारण ललित कई वर्षों तक राक्षस योनि में जीवन का निर्वाह करता रहा। उसकी पत्नी भी इतने वर्षों तक उसी का अनुकरण करती रही।

अपने पति की ऐसी स्थिति देखकर वह बहुत दुःखी थी। एक दिन वह श्रृंगी ऋषि के आश्रम में गई और ऋषि श्रृंगी से अपने पति की व्यथा सुनाई।

ललिता ने ऋषि श्रृंगी से प्रार्थना की कि वह उसके पति को श्रापमुक्त करने का कोई उपाय बताएं। यह सब सुन कर ऋषि श्रृंगी ने ललिता को चैत्र माह की शुक्ल एकादशी के बारे में बताया।

उन्होंने बताया कि इस एकादशी को कामदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। इस एकादशी के दिन व्रत करने से मनुष्य के सभी कार्य सिद्ध होते हैं और सभी तरह के पाप तथा दोषों से मुक्ति मिलती है।

ऋषि श्रृंगी ने ललिता को यह व्रत करने का आदेश दिया और कहा कि इस व्रत का फल तुम्हें अपने पति को देना होगा। उन्होंने कहा कि इस व्रत के पुण्य प्रभाव से तुम्हारे पति का निश्चित ही उद्धार होगा।

ललिता ने ऋषि श्रृंगी की आज्ञा का पालन किया और एकादशी का फल देते ही उसका पति ललित राक्षस योनि से मुक्त होकर अपने पुराने स्वरूप को प्राप्त हो गया।

फिर अनेक सुंदर वस्त्र और आभूषणों से सुसज्जित होकर ललित अपनी पत्नी ललिता के साथ विमान में बैठकर स्वर्गलोक को चला गया।

ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को विधि-विधान से करने पर सभी पाप नष्ट हो जाते हैं तथा राक्षस आदि योनि से भी मुक्ति मिल जाती है।

इस कथा से हमें कामदा एकादशी व्रत (Kamada Ekadashi Vrat) और कामदा एकादशी व्रत कथा (Kamada Ekadashi Vrat Katha) का महत्त्व पता चलता है।

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