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Hartalika Teej Vrat Aarti Lyrics (हरतालिका तीज व्रत आरती)

Hartalika Teej Vrat Katha In Hindi (हरतालिका तीज व्रत कथा) Hartalika Teej Vrat Aarti Lyrics (हरतालिका तीज व्रत आरती)

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Hartalika Teej Vrat Aarti Lyrics (हरतालिका तीज व्रत आरती)

तीज अमावस्या की रात या पूर्णिमा की रात के तीसरे दिन का प्रतीक है। हरतालिका तीज उत्तर प्रदेश, राजस्थान, बिहार, झारखंड और मध्य प्रदेश राज्यों में हिंदू महिलाओं द्वारा उत्साह के साथ मनाए जाने वाले प्रमुख त्योहारों में से एक है। यह दिन देवी पार्वती को समर्पित है, जिन्होंने भगवान शिव से विवाह करने के लिए घने जंगल में तपस्या की थी।

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Benefits of Hartalika Teej Vrat Aarti (हरतालिका तीज व्रत आरती के लाभ)

हरतालिका तीज व्रत और Hartalika Teej Vrat Aarti (हरतालिका तीज व्रत आरती) का हिंदू महिलाओं के लिए बहुत महत्व है। ऐसा माना जाता है कि अगर अविवाहित लड़की इस व्रत को धार्मिक रूप से करती है, तो उसे अपनी आत्मा की प्राप्ति होती है। जैसे देवी पार्वती को भगवान शिव मिले थे। हरतालिका तीज का मुख्य उद्देश्य संतान के साथ-साथ वैवाहिक सुख प्राप्त करना है।

विवाहित महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं जिसमें वे दिन भर न तो भोजन करती हैं और न ही पानी पीती हैं। पूरे दिन व्रत रखकर महिलाएं अपने पति, बच्चों और खुद के लिए आशीर्वाद मांगती हैं। भक्त शिव और पार्वती से वैवाहिक सुख के लिए प्रार्थना करते हैं।

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Hartalika Teej Vrat Aarti Lyrics (हरतालिका तीज व्रत आरती)

माता पारवती जी की आरती

|| पारवती जी की आरती ||

जय पार्वती माता, जय पार्वती माता।
ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता।। जय पार्वती माता…

अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता।
जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुण गाता।। जय पार्वती माता…

शुम्भ-निशुम्भ विदारे हेमांचल स्याता।
सहस भुजा तनु धरिके चक्र लियो हाथा।। जय पार्वती माता…

सृष्ट‍ि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता।
नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता।। जय पार्वती माता…

देवन अरज करत हम चित को लाता।
गावत दे दे ताली मन में रंगराता।। जय पार्वती माता…

श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता।
सदा सुखी रहता सुख संपति पाता।।

जय पार्वती माता, जय पार्वती माता।
ब्रह्म सनातन देवी, शुभ फल की दाता।।

भगवान शिव जी की आरती

|| शिव जी की आरती ||

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ॐ जय शिव…॥

एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।
हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ॐ जय शिव…॥

दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।
त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ॐ जय शिव…॥

अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।
चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ॐ जय शिव…॥

श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।
सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ॐ जय शिव…॥

कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।
जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ॐ जय शिव…॥

ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।
प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ॐ जय शिव…॥

काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।
नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ॐ जय शिव…॥

त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥

जय शिव ओंकारा ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥

कर्पूरगौरं करुणावतारं संसारसारं भुजगेन्द्रहारम्।
सदा बसन्तं हृदयारविन्दे भवं भवानीसहितं नमामि।।

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