Ganpati Stotra (गणपति स्तोत्र) Lyrics In Marathi
पूजा में गणेश जी का महत्वपूर्ण स्थान है। वेदों और पुराणों में भगवान गणेश की पूजा करने के बहुत से लाभों का उल्लेख किया गया है। सुबह के समय भगवान गणेश को ध्रुव अर्पित करने से व्यक्ति सभी बाधाओं को दूर करने में सक्षम होता है।
सामने के दरवाजे पर गणेश जी की तस्वीर लगाना लाभकारी होता है। गणेश जी को मोतीचूर के लड्डू का भोग लगाना चाहिए। इससे धन मिलता है और व्यक्ति गरीब नहीं रहता।
21 दिनों तक भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करने से व्यक्ति की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। भगवान गणेश को ब्रह्मा, विष्णु और शिव के साथ जोड़ा जाता है। ऐसा माना जाता है कि अन्य सभी देवों की उत्पत्ति भगवान गणेश से हुई है।

भगवान गणेश की कृपा व्यक्ति के जीवन को समृद्ध और खुशहाल बनाती है। ऐसा व्यक्ति सभी समस्याओं को दूर करने में सक्षम होता है।
भगवान गणेश के पास विशाल ज्ञान है और सभी समस्याओं को दूर करते हैं। हिंदू धर्म में किसी भी कार्य की सफलता के लिए भगवान गणेश की पूजा की जाती है। शास्त्रों में भगवान गणेश की पूजा करने के कई तरीके बताए गए हैं।
ऐसा ही एक तरीका है संकट नाशन Ganpati Stotra (गणपति स्तोत्र)। पूजा के दौरान भगवान गणेश को हमेशा ध्रुव, फूल, सिंदूर, घी, दीपक और मोदक का भोग लगाना चाहिए।
Benefits of Ganpati Stotra (गणपति स्तोत्र के लाभ)
संकट नाशन Ganpati Stotra (गणपति स्तोत्र) भगवान गणेश के सबसे प्रभावी स्तोत्र में से एक है। यह सभी प्रकार की समस्याओं को दूर करता है। इस स्तोत्र का प्रतिदिन पाठ करने से व्यक्ति सभी प्रकार की समस्याओं से मुक्त हो जाता है।
भगवान गणेश सभी समस्याओं का समाधान करते हैं और जीवन में समृद्धि और खुशियां लाते हैं। किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है।
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Ganpati Stotra (गणपति स्तोत्र)
||श्री गणपती स्तोत्र||
साष्टांग नमन हे माझे गौरीपुत्रा विनायका ।
भक्तीनें स्मरतो नित्य आयुःकामार्थ साधती ॥ १ ॥
प्रथम नांव वक्रतुंड दुसरें एकदंत ते ।
तिसरे कृष्णपिंगाक्ष चवथे गजवक्र ते ॥ २ ॥
पांचवे श्रीलंबोदर सहावें विकट नांव ते ।
सातवे विघ्नराजेंद्र आठवे धुम्रवर्ण ते ॥ ३ ॥
नववे श्री भालचंद्र दहावे श्री विनायक ।
अकरावे गणपती बारावे श्री गजानन ॥ ४ ॥
देवनांवे अशी बारा तीन संध्या म्हणे नर ।
विघ्नभीती नसे त्याला प्रभो ! तू सर्व सिद्धिदे ॥ ५ ॥
विद्यार्थ्याला मिळे विद्या धनार्थ्याला मिळे धन ।
पुत्रार्थ्याला मिळे पुत्र मोक्षार्थ्याला मिळे गति ॥ ६ ॥
जपता गणपती स्तोत्र सहा मासांत हे फळ ।
एक वर्ष पुर्ण होतां मिळे सिद्धी न संशय ॥ ७ ॥
नारदांनी रचिलेले झाले संपू्र्ण स्तोत्र हें ।
श्रीधराने मराठींत पठण्या अनुवादिले ॥ ८ ॥
॥ श्रीगणपती स्तोत्र संपूर्ण ॥
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