आज का पंचांग, आरती, चालीसा, व्रत कथा, स्तोत्र, भजन, मंत्र और हिन्दू धर्म से जुड़े धार्मिक लेखों को सीधा अपने फ़ोन में प्राप्त करें।
इस 👉 टेलीग्राम ग्रुप 👈 से जुड़ें!

Skip to content

भगवान ब्रह्मा जी के 29 नाम और उनके अर्थ

भगवान ब्रह्मा जी के 29 नाम और उनके अर्थ

आज का पंचांग जानने के लिए यहाँ पर क्लिक करें।
👉 पंचांग

भगवान ब्रह्मा जी के 29 नाम और उनके अर्थ

ब्रह्मा भगवान को त्रिदेवों में से एक जाना जाता है। त्रिदेव वे हैं जिनके पास इस सृष्टि का सृजन, संतुलन और विनाश करने का कार्यभार है। भगवान विष्णु को इस सृष्टि के सञ्चालन का कार्यभार है तो भगवान शिव इस सृष्टि का विनाश या विध्वंस करते हैं ताकि इस सृष्टि का फिर से सृजन किया जा सके। यह गति निरंतर चलती रहती है।

ब्रह्मा जी के पास सृष्टि के सृजन और उत्पत्ति का कार्यभार है। वह ब्रह्मा जी ही हैं जिन्हें इस ब्रह्माण्ड का सृजनकर्ता भी कहा जाता है। या दूसरे शब्दों में यह कह सकते हैं कि वह इस सृष्टि के निर्माता हैं।

ब्रह्मा जी की उत्पत्ति कैसे हुई?

हिन्दू पौराणिक ग्रंथों की मानें तो ब्रह्मा जी का जन्म श्री विष्णु जी की नाभि से निकले हुए कमल के फूल से हुआ था। लेकिन यह स्पष्ट तौर पर कहा नहीं जा सकता कि ब्रह्मा जी कि उत्पत्ति कैसे हुई थी क्यूंकि कुछ ग्रंथों में माना गया है कि ब्रह्मा जी की उत्पत्ति भगवान शिव द्वारा की गयी थी तो शाक्त पुराण की मानें तो ब्रह्मा जी कि उत्पत्ति आदि शक्ति के द्वारा हुई है।

हिन्दू धर्म ग्रंथों में ब्रह्मा जी का वर्णन कैसे किया गया है?

ब्रह्मा जी को चार सिर और चार हाथ के साथ सुनहरे रंग की दाढ़ी में चित्रित किया जाता है। उनके चार सिर का मतलब है चार वेद। ब्रह्मा जी के यह चार सिर – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद का प्रतिनिधित्व करते हैं। ब्रह्मा जी को वेदों का रचयिता भी कहा जाता है। ब्रह्मा जी के चार मुख चार दिशाओं को दर्शाते हैं।

उन्हें कमल के फूल पर बैठा हुआ दिखाया जाता है और उनका मुख्य वाहन हंस है। देवी सरस्वती को ब्रह्मा जी की पत्नी के रूप में दर्शाया जाता है। देवी सरस्वती ब्रह्मा जी की ऊर्जा शक्ति और ज्ञान का प्रतिनिधित्व करती हैं।

हिन्दू धर्म ग्रंथों की मानें तो ब्रह्मा जी ने अपने पुत्रों को अपने मन से निर्मित किया था इसलिए उनके पुत्रों को मानस पुत्र कहा जाता है। इसके साथ ही उन्होंने सृष्टि में जीवों का सृजन भी किया।

भगवान ब्रह्मा जी के 29 नाम और उनके अर्थ

भगवान ब्रह्मा जी के 29 नाम क्या हैं और उनके नामों के अर्थ क्या हैं?

ब्रह्मा जी के 29 नाम उनके अर्थ सहित इस प्रकार हैं:

ब्रह्मा

ब्रह्मा का अर्थ है सबसे बड़ा या फिर निर्माता। ब्रह्मा का मतलब श्वास लेने से भी है। हम ब्रह्मा जी को ब्रह्माण्ड में हर एक जीव के जीवन (श्वास) के रूप में भी देखा जा सकता है। ऐसे देव जो अपनी एक श्वास में सृष्टि का सृजन करते हैं और उनकी एक श्वास में सृष्टि का समापन होता है।

आत्मभू

आत्मभू का अर्थ होता है स्वयंभू। स्वयंभू का मतलब है खुद अपने आप प्रकट होने वाला।

सुरज्येष्ठा

सुरज्येष्ठा का अर्थ है सभी देवताओं में ज्येष्ठ। ज्येष्ठ का अर्थ है बड़ा। तो भगवान ब्रह्मा की उत्पत्ति सर्वप्रथम हुई थी तो इसलिए वह सभी देवताओं में ज्येष्ठ हैं।

परमेष्ठी

परमेष्ठी का अर्थ है सबसे उच्च इच्छा के दाता जिनकी पूजा यज्ञों द्वारा की जाती है।

पितामह

पितामह का अर्थ है सबसे बड़ा बुज़ुर्ग या दादा।

हिरण्यगर्भः

हिरण्यगर्भः का अर्थ है सुनहरा अंडा। कुछ हिन्दू पौराणिक ग्रंथों की मानें तो ब्रह्मा जी की उत्पत्ति एक सुनहरे अंडे से हुई थी।

लोकेश

लोकेश का अर्थ है इस सृष्टि के स्वामी या राजा।

स्वयंभू

स्वयंभू का अर्थ है खुद से प्रकट हुआ।

चतुरानन

चतुरानन का अर्थ है चार मुख वाला।

दत्त

दत्त का अर्थ है श्रेष्ठ नेता।

अब्जयोनिः

अब्जयोनिः का अर्थ है कमल से जन्म लेने वाला। कुछ हिन्दू ग्रंथों की मानें तो ब्रह्मा जी का जन्म श्री विष्णु जी की नाभि से उत्पन्न हुए कमल के फूल से हुआ था।

द्रुहिणः

द्रुहिणः का अर्थ है इस जगत का निर्माता। ब्रह्मा जी को इस सृष्टि का निर्माता जाना जाता है।

कमलासनः

कमलासनः का अर्थ है कमल के फूल पर विराजमान। ब्रह्मा जी को कमल के फूल पर विराजमान दर्शाया जाता है।

श्रष्टा

श्रष्टा का अर्थ भी संसार का निर्माता ही होता है जो श्री ब्रह्मा जी हैं।

प्रजापति

प्रजापति का अर्थ है समस्त प्राणियों के स्वामी।

वेद

वेद से चार तरह के वेदों का अभिप्राय है जो कि ब्रह्मा जी द्वारा निर्मित हैं। यह चार वेद हैं – ऋग्वेद, यजुर्वेद, सामवेद और अथर्ववेद।

विधाता

विधाता का अर्थ है वह जिसने इस सृष्टि का विधान बनाया हो। वह जो स्वर्ग में सबसे उच्च स्थान पर हो।

विश्वस्रुष

विश्वस्रुष का अर्थ है सर्वज्ञाता। वह जो सब कुछ जानता है।

विधिः

विधिः से अर्थ है “वेदों के स्वामी”। वह जो विधि विधान के प्रभारी हैं।

नबिजनमा

नबिजनमा का अर्थ है नाभि से जन्म लेने वाला। ब्रह्मा जी कि उत्पत्ति भगवान विष्णु की नाभि से उत्पन्न हुए कमल के फूल से हुई थी। इसलिए उन्हें नबिजनमा कहा जाता है।

अण्डज:

अण्डज: का अर्थ है अंडे से उत्पन्न हुआ।

पूर्वः

पूर्वः का अर्थ है सर्वप्रथम। वह जो सबसे पहले आया।

निदानः

निदानः का अर्थ है कारण। वह जो इस सृष्टि में सब का कारण है।

कमलोद्भवः

कमलोद्भवः का अर्थ है कमल के फूल से उत्पन्न हुआ।

सदानंद

सदानंद का अर्थ है जो हमेशा रहेगा।

रजोमूर्तिः

रजोमूर्तिः का अर्थ है रजोगुण का स्वामी। संसार में तीन गुण हैं रज गुण, तम गुण और सत गुण। भगवान ब्रह्मा को रज गुण का स्वामी माना गया है।

सत्यकह

सत्यकह का अर्थ है सत्यवादी।

हंसवाहनः

हंसवाहनः का अर्थ है जिसका वाहन हंस है।

विरिंचि

विरिंचि का अर्थ है निर्माता। वह जो सृष्टि का निर्माता है।

तो यह थे भगवान ब्रह्मा जी के 29 नाम और उनके अर्थ। आशा करता हूँ आपको यह लेख अच्छा लगा होगा। कृपया इस लेख को दूसरों के साथ भी सांझा कीजियेगा।

खुश रहिये, स्वस्थ रहिये…

जय श्री कृष्ण!

भगवान ब्रह्मा जी के 29 नाम और उनके अर्थ – PDF Download


onehindudharma.org

इस महत्वपूर्ण लेख को भी पढ़ें - भगवान शिव और माता सती का विवाह

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You cannot copy content of this page