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बसंत पंचमी (Basant Panchami) के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी

बसंत पंचमी (Basant Panchami) के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी

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बसंत पंचमी (Basant Panchami) के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी

बसंत पंचमी (Basant Panchami) हिन्दू धर्म में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है। बसंत पंचमी को श्री पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। बसंत पंचमी का दिन माँ सरस्वती जी, भगवन विष्णु जी और काम देव जी को समर्पित है।

बसंत पंचमी के दिन पर सरस्वती व्रत कथा के लिए विशेष तौर से लेख विस्तारपूर्वक लिखा गया है। सरस्वती व्रत कथा के विषय में इस लेख को पढ़ने के लिए निचे दिए गए लिंक पर क्लिक कीजिए।

सरस्वती व्रत कथा। बसंत पंचमी

बसंत पंचमी का त्योहार हिन्दू धर्म में ढेर सारी खुशियों और हर्षोल्लास का त्योहार है। यह त्योहार प्रकृति में ज्ञान, कला तथा जीवन के सृजन के आरम्भ का त्योहार है।

यह त्योहार खेतों में लहलहाते सरसों के पीले फूलों का त्योहार है। यह त्योहार मनुष्य, पशु, पक्षी तथा पौधों में एक नई दिव्य चेतना के प्रारम्भ का त्योहार है। बसंत पंचमी (Basant Panchami) का त्योहार पीले रंग से जुड़ा हुआ है इसलिए लोग इस दिन पीले कपड़े पहनते हैं।

तो इस लेख में हम बसंत पंचमी (Basant Panchami) के बारे में जानेंगे और साथ ही जानेंगे बसंत पंचमी से जुड़े कुछ अन्य तथ्यों के बारे में।

बसंत पंचमी क्या है? (What Is Basant Panchami?)

बसंत पंचमी (Basant Panchami) को श्री पंचमी भी कहा जाता है। बसंत पंचमी का त्योहार हिन्दुओं द्वारा उत्तर, पश्चिम तथा पश्चिमोत्तर भारत में मनाया जाता है। इस दिन लोग पीले वस्त्र पहनते हैं।

बसंत पंचमी का त्योहार बसंत ऋतू के आगमन पर मनाया जाता है। इस महीने में प्रकृति का कण कण खिल जाता है। इस ऋतू में मनुष्य ही नहीं पशु पक्षी भी हर्षित हो उठते हैं। इस समय फल, फूल, पौधे और फसलें खिलखिला उठती हैं।

इस दिन ज्ञान और कला की देवी मानी जाने वालीं माँ सरस्वती जी की पूजा की जाती है। साथ ही भगवान श्री विष्णु जी और कामदेव जी की भी पूजा का विधान है।

इस दिन शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हुए लोग माँ सरस्वती की पूजा अर्चना करते हैं और माँ सरस्वती से ज्ञान का आशीर्वाद मांगते हैं। माँ सरस्वती कला की देवी भी हैं। कला के क्षेत्र से जुड़े लोग भी इस दिन माँ सरस्वती जी की पूजा करते हैं।

बसंत पंचमी से जुड़ी कथा क्या है? (What is a legend related to Basant Panchami?)

बसंत पंचमी (Basant Panchami) से जुड़ी पौराणिक कथा यह है कि जब भगवान शिव जी ने भगवान ब्रह्मा जी को सृष्टि की संरचना करने की आज्ञा दी तो ब्रह्मा जी ने मनुष्य तथा अन्य जीवों कि रचना की।

मनुष्य की रचना तो हो गयी परन्तु मनुष्य में ज्ञान का अभाव होने के कारण प्रकृति उस प्रकार नहीं बढ़ रही थी जिस प्रकार ब्रह्मा जी चाहते थे। इस बात से ब्रह्मा जी ने चिंतित होकर भगवान श्री विष्णु जी का आव्हान किया।

जब भगवान विष्णु जी प्रकट हुए तो उन्होंने ब्रह्मा जी से कहा कि माँ आदि शक्ति ही इस समस्या का समाधान कर सकती हैं। इस पर दोनों ने माँ आदि शक्ति का आव्हान किया और माँ आदि शक्ति दोनों के समुख प्रकट हुईं।

माँ आदि शक्ति ने अपना एक और रूप प्रकट किया जो श्वेत वस्त्र धारण किये हुए और हाथ में वीणा लिए हुए था। यह रूप माँ सरस्वती जी का ही था। माँ आदि शक्ति ने ब्रह्मा जी से कहा कि आज से माँ सरस्वती आपकी सहगामिनी होंगी और जीवों तथा मनुष्य में माँ सरस्वती ज्ञान और कला का विस्तार करेंगी।

इसलिए बसंत पंचमी (Basant Panchami) का त्योहार माँ सरस्वती के आशीर्वाद से प्रकृति के कण कण खिल जाने पर मनाया जाता है।

बसंत पंचमी (Basant Panchami) के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी

बसंत पंचमी किस राज्य में मनाई जाती है? (Basant Panchami celebrated in which state?)

यूँ तो बसंत पंचमी (Basant Panchami) लगभग पूरे भारत में ही बड़ी धूम धाम से मनाई जाती है परन्तु भारत के उत्तर, पश्चिम तथा पश्चिमोत्तर क्षेत्र में इस त्योहार का महत्त्व अधिक है।

उत्तर भारत की हम बात करें तो बसंत पंचमी पंजाब, हरयाणा, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और राज्यस्थान के कई इलाकों में बड़ी धूम धाम के साथ मनाई जाती है।

पश्चिम में यह त्योहार बिहार और पश्चिम बंगाल में मनाया जाता है। पश्चिमोत्तर भारत में बसंत पंचमी (Basant Panchami) का त्योहार त्रिपुरा और आसाम के कई इलाकों में बड़ी धूम धाम के साथ मनाया जाता है।

यह त्योहार शिशिर ऋतू के बाद नयी फसल के अंकुरित होने की ख़ुशी में मनाया जाता है। इस दिन किसान ईश्वर से वर्ष में ज़्यादा फसल होने का आशीर्वाद मांगते हैं।

बसंत पंचमी कब आती है? (when is basant panchami celebrated?)

हिन्दू धर्म में पूरे साल को 6 ऋतुओं में विभाजित किया गया है। यह ऋतुएं इस प्रकार हैं – शिशिर ऋतु, बसंत ऋतु, ग्रीष्म ऋतु, वर्षा ऋतु, शरद ऋतु और हेमंत ऋतु।

इन ऋतुओं के बारे में अगर आप विस्तार से जानना चाहते हैं तो निचे दिए गए लिंक पर क्लिक करें। इस विषय पर एक लेख विस्तार से लिखा गया है।

हिन्दू धर्म के अनुसार 6 ऋतुओं के नाम और उनके बारे में विस्तार से जानकारी

इस लेख में तो हम बसंत ऋतु की ही बात करेंगे। बसंत पंचमी (Basant Panchami) का दिन बसंत ऋतु के दौरान आता है। इस समय फूलों में बहार आ जाती है और खेतों में सरसों के फूल लहलहाने लगते हैं। पेड़, पौधों और फसलों में नए फूल अंकुरित होने लगते हैं।

इस समय रंग बिरंगी तितलियाँ पौधों के इर्द-गिर्द मंडराने लगती हैं। यह ऋतु खेतों में फसलों की शुरुआत होने पर मनाई जाती है और बसंत ऋतु के आगमन पर इसका स्वागत किया जाता है।

पूरे उत्तर, पश्चिम तथा पश्चिमोत्तर भारत में बसंत पंचमी (Basant Panchami) का दिन बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है।

बसंत पंचमी किस दिन है? (On which day is Basant Panchami?)

आमतौर पर बसंत पंचमी (Basant Panchami) अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जनवरी या फरवरी महीने में आती है। इस वर्ष बसंत पंचमी (Basant Panchami) का दिन 5 फरवरी, 2022 को मनाया जाएगा।

हिन्दू कैलेंडर के अनुसार बसंत पंचमी माघ माह की शुक्ल पंचमी को मनाई जाती है। इस दिन विशेष तौर पर किसानों द्वारा बसंत ऋतु के आगमन पर जश्न और खुशियां मनाई जाती हैं।

हिन्दू धर्म में बसंत पंचमी के दिन माँ सरस्वती, भगवान श्री विष्णु और कामदेव जी की पूजा का विधान है।

बसंत पंचमी का महत्व क्या है? (What is the significance of Basant Panchami?)

वैसे तो बसंत पंचमी (Basant Panchami) हिन्दू धर्म को मानने वाले सभी लोगों के लिए एक मत्त्वपूर्ण त्योहार है। परन्तु कला तथा शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हुए लोग इस त्योहार को बड़े हर्षोल्लास से मनाते हैं। साथ ही किसानों के लिए यह त्योहार अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। किसान भी इस त्योहार को बड़ी ख़ुशी के साथ मनाते हैं।

हिन्दू धर्म की पौराणिक कथाओं की हम बात करें तो मान्यता यह है कि त्रेता युग में भगवान श्री राम जब माता सीता की खोज के लिए दक्षिण की तरफ जा रहे थे तो रास्ते में दंडकारण्य क्षेत्र में वह रुके थे।

दंडकारण्य क्षेत्र वही क्षेत्र है जहाँ माता शबरी ने प्रेमवश प्रभु श्री राम को अपने जूठे बेर खिलाए थे। माता शबरी का अपने प्रति प्रेम और भक्ति देख कर श्री राम जी ने उनका कल्याण किया था और जन्म-जन्मांतर के कालचक्र से उन्हें छुटकारा दिलवाया था।

माना जाता है कि दंडकारण्य क्षेत्र की जिस जगह पर माता शबरी की कुटिया थी वह स्थान आज के दौर में गुजरात के दांग जिले में है। मान्यता यह है कि जिस दिन भगवान श्री राम जी माता शबरी की कुटिया में पधारे थे उस दिन बसंत पंचमी थी।

इस क्षेत्र के आदिवासी आज भी एक शिला की पूजा करते हैं। उनका मानना है कि भगवान श्री राम जब यहाँ आए थे तो वह इसी शिला के ऊपर बैठे थे।

बसंत पंचमी के दिन किस कवि का जन्मदिन मनाया जाता है? (Which poet’s birthday is celebrated on Basant Panchami?)

बसंत पंचमी (Basant Panchami) का त्योहार माँ सरस्वती के जन्मदिवस के रूप में मनाया जाता है। अगर आप सोच रहे हैं कि बसंत पंचमी के दिन किसी कवि का जन्मदिन मनाया जाता है तो यह बात स्पष्ट कर देते हैं कि बसंत पंचमी को किसी कवि का जन्मदिन नहीं मनाया जाता।

परन्तु हाँ! बसंत पंचमी का दिन हिन्दू धर्म में महाकवि माने जाने वाले कालिदास जी से जुड़ा हुआ है। कथा यह है कि कालिदास बचपन से ही मंदबुद्धि थे और उनका सम्मान कोई नहीं करता था।

जब उनका विवाह हो गया तो उनको देखकर उनकी पत्नी भी उनका सम्मान नहीं करती थी और उन्हें धिक्कारती थी। इस से दुखी होकर जब कालिदास ने अपने जीवन का त्याग करना चाहा तो माँ सरस्वती ने प्रकट हो कर कालिदास जी को आशीर्वाद दिया।

माँ सरस्वती के आशीर्वाद से कालिदास जी मंदबुद्धि से एक महान विद्वान बन गए और बाद में उन्होंने कई प्रसिद्ध कविताएँ रची। इस वजह से वह एक महाकवि माने जाने लगे।

यह बसंत पंचमी (Basant Panchami) का ही दिन था जिस दिन माँ सरस्वती जी ने महाकवि कालिदास जी को आशीर्वाद प्रदान किया था।

निष्कर्ष

तो इस लेख में हमने बसंत पंचमी (Basant Panchami) के बारे में जाना और साथ ही बसंत पंचमी से जुड़े अन्य तथ्यों के बारे में जानकारी प्राप्त की। आशा करता हूँ आपको यह लेख अच्छा लगा होगा और आपके ज्ञान में इससे वृद्धि हुई होगी। कृपया इस लेख को दूसरों के साथ भी सांझा करें।

खुश रहे, स्वस्थ रह…

जय श्री कृष्ण!

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